खेलो इंडिया में दिखेगा बिहार का दमखम

विकास के साथ जिस सर्व-समावेशिता की बात आज विश्व बैंक से संयुक्त राष्ट्र तक हर मंच पर होती है, उसके लिए हो रहे प्रयास देश के संघात्मक ढांचे की नई चमक को जाहिर कर रहे हैं। इस लिहाज से सबसे दिलचस्प है खेलों की दिशा में राज्यों का शानदार प्रदर्शन। जिस आयोजन की आज पूरे देश में चर्चा है, वह है खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025। इस बार यह अहम आयोजन न सिर्फ बिहार में हो रहा है बल्कि प्रदेश के पांच शहरों में इससे जुड़ी खेल प्रतियोगिताएं हो रही हैं। ये शहर हैं- पटना, राजगीर, भागलपुर, गया और बेगूसराय।

बिहार जैसे सूबे में इतने महत्वपूर्ण राष्ट्रीय खेल आयोजन के मायने गहरे और बहुस्तरीय हैं। कुछ दशक पहले तक बिहार वैसे राज्यों में शुमार होता था, जिसके विकास की संभावनाओं पर लगातार नकारात्मक तरीके से विचार किया गया। दरअसल, इस पूरे संदर्भ का आगाज 1980 के दशक में तब हुआ, जब जनसांख्यिकी और आर्थिक नीतियों के विश्लेषक आशीष बोस ने तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को एक रिपोर्ट सौंपी। बोस ने इस रिपोर्ट में देश के चार बड़े राज्‍यों बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश को ‘बीमारू’ राज्य बताया। पर बीते दशकों में यह स्थिति लगातार बदली है। इस दौरान विकास को लेकर इन राज्यों के विकास का नया चरित्र उभरा है।

बात अकेले उस सूबे की करें जहां इस बार खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025 का मेगा आयोजन हो रहा तो यह इस सूबे की खेल संस्कृति और उस दिशा में हो रही प्रगति की ओर स्वभाविक तौर पर ध्यान ले जाता है। आज की तारीख में ऐतिहासिक विरासत, संस्कृति और बौद्धिक परंपराओं के लिए मशहूर बिहार खेल के क्षेत्र में नई पहचान बना रहा है। पिछले कुछ वर्षों में कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं की मेजबानी में बिहार का दमखम खासतौर पर दिखा है। बिहार की दृष्टि से यह बड़ा बदलाव है।

खेलों की मेजबानी में बिहार को प्राथमिकता मिलने के पीछे कई अहम कारण हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में राज्य की सरकार ने बीते दो दशकों में स्टेडियम, स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स, ट्रेनिंग सेंटर और आधुनिक खेल सुविधाओं के निर्माण पर विशेष ध्यान दिया है। यही कारण है कि राजगीर को एशियन महिला हॉकी चैंपियनशिप की मेजबानी मिली। पटना का पाटलिपुत्र स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स अब राष्ट्रीय स्तर के आयोजनों के लिए तैयार है। मुजफ्फरपुर, गया और भागलपुर में भी नए स्टेडियम बनाए जा रहे हैं।

खेलों के आयोजन से बिहार जैसे राज्य की अर्थव्यवस्था को बहुआयामी लाभ मिल रहा है। दरअसल, जब कहीं भी राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता आयोजित होती है, वहां हजारों खिलाड़ियों, कोच, आयोजकों और दर्शकों का आगमन होता है। इससे होटल, रेस्तरां, परिवहन, लोकल मार्केट और पर्यटन स्थलों को बढ़ावा मिलता है। हाल ही में पटना में आयोजित राष्ट्रीय खेल आयोजन के दौरान होटल और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में 40 फीसदी तक की वृद्धि दर्ज की गई, जिससे स्थानीय व्यापारियों को सीधा लाभ हुआ।

खेल आयोजनों से निजी निवेश को भी बढ़ावा मिलता है। खेलों को बढ़ावा देने वाले राज्य में कॉरपोरेट कंपनियां, स्पॉन्सर और खेल ब्रांड निवेश करने के लिए आकर्षित होते हैं। बिहार में अब कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खेल ब्रांड अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं, जिससे खेल उपकरण उद्योग, प्रशिक्षण संस्थान और अन्य संबंधित क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं। इससे न केवल राज्य की जीडीपी को मजबूती मिलेगी बल्कि युवाओं के लिए करियर के नए विकल्प खुलेंगे।

राज्य में अब नियमित रूप से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताएं आयोजित की जा रही हैं, जिससे बिहार के खिलाड़ियों को अपने ही राज्य में उच्चस्तरीय प्रतिस्पर्धा का अनुभव मिल रहा है। पहले उन्हें बेहतर प्रशिक्षण और मौके के लिए दूसरे राज्यों में जाना पड़ता था, लेकिन अब पटना, गया, भागलपुर, मुजफ्फरपुर और दरभंगा जैसे शहरों में खेल सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। इससे बिहार के उभरते हुए एथलीटों को अपने घर के नजदीक विश्वस्तरीय कोचिंग और टूर्नामेंट में हिस्सा लेने का अवसर मिल रहा है।

बिहार में खेल आयोजनों की सफलता से राज्य की वैश्विक पहचान भी बन रही है। स्वाभाविक तौर पर जब कोई बड़ा टूर्नामेंट आयोजित होता है तो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया में उसकी चर्चा होती है। इससे बिहार की छवि आधुनिक, प्रगतिशील और खेल-समर्थक राज्य के रूप में बनती है। पहले बिहार को केवल प्राचीन संस्कृति और ऐतिहासिक स्थलों के लिए जाना जाता था लेकिन अब इसे खेलों की नई राजधानी के रूप में भी देखा जा रहा है।

खेल आयोजनों का एक बड़ा लाभ यह भी है कि इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलता है। बिहार पहले ही बौद्ध धर्म और ऐतिहासिक विरासत के कारण लाखों पर्यटकों को आकर्षित करता है। अगर राज्य में अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताएं नियमित रूप से आयोजित होती हैं, तो इससे यहां आने वाले विदेशी पर्यटकों की संख्या भी बढ़ेगी। खेल आयोजनों के दौरान पर्यटक न केवल मैच देखने आते हैं बल्कि वे स्थानीय बाजारों, हस्तशिल्प उद्योग और ऐतिहासिक स्थलों का भी भ्रमण करते हैं। इससे बिहार की पर्यटन अर्थव्यवस्था को मजबूत आधार मिलता है।

खेल आयोजनों से राज्य में स्पोर्ट्स इंडस्ट्री का विकास भी तेज हो रहा है। खेल सुविधाओं के निर्माण, स्पोर्ट्स गियर मैन्युफैक्चरिंग, फिटनेस और कोचिंग सेंटरों की संख्या बढ़ रही है। बिहार सरकार ने खेल नीति 2023″ के तहत खेल-केंद्रित स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने का भी फैसला किया है, जिससे युवा उद्यमियों को खेल से जुड़े व्यापार में कदम रखने का अवसर मिलेगा। अगर बिहार में खेलों के महत्वपूर्ण आयोजन इसी तरह होते रहे तो आने वाले वर्षों में यह राज्य देश के प्रमुख खेल केंद्रों में से एक बन सकता है। इससे जहां खेल स्पर्धाओं से जुड़े रोजगार के अवसर और पर्यटन का विकास होगा बल्कि निवेश में वृद्धि आएगी और स्थानीय अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी। इस तरह की बढ़त और अनुकूलताओं से बिहार की छवि तो सुधरेगी ही, राज्य को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक ब्रांड के रूप में स्थापित होने का भी मौका मिलेगा।


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