हर 12 साल में ही क्यों लगता है कुम्भ मेला? क्या है इसका महत्व?

News Saga Desk

कुम्भ मेला लगने वाला है। यह हर 12 साल में चार स्थानों हरिद्वार, प्रयागराज (इलाहाबाद), उज्जैन और नासिक में आयोजित होता है। कुंभ मेला इसलिए लगाया जाता है क्योंकि यह पौराणिक अमृत कलश की कथा, खगोलीय घटनाओं और कई अन्य धार्मिक मान्यताओं से जुड़ा है। लेकिन कुम्भ मेला हर 12 साल पर ही क्यों लगता है, चलिए इसका कारण जानते हैं।

  • प्रयागराज में 12 साल के लम्बे इंतजार के बाद 13 जनवरी 2025 को कुंभ मेला आयोजित हुआ।
  • कुंभ मेला का आयोजन हिंदू धर्म की सबसे पवित्र और प्राचीन परंपराओं में से एक है।
  • पौराणिक कथाओं के अनुसार, कुंभ मेला का आयोजन अमृत के समुद्र मंथन से जुड़ा हुआ है।
  • कुंभ मेला हर 12 साल में एक बार आयोजित होता है, जो मानव जीवन में विशेष ऊर्जा परिवर्तन को दर्शाता है।
हर 12 साल में ही क्यों लगता है कुम्भ मेला? क्या है कुम्भ मेले का महत्व?

हर 12 साल में ही क्यों लगता है कुम्भ मेला?

प्रयागराज में 12 साल के लम्बे इन्तजार के बाद 13 जनवरी 2025 को कुम्भ मेला लगने वाला है। कई श्रद्धालुओं को इस मेले के लगने का बेसब्री से इन्तजार होता है। कुंभ मेला का आयोजन हिंदू धर्म की सबसे पवित्र और प्राचीन परंपराओं में से एक है। इस मेला के आयोजन के पीछे पौराणिक, धार्मिक और खगोलीय कारण हैं। हम इस लेख में वो कारण तो जानेंगे ही, साथ में ये भी जानेंगे कि कुम्भ मेला हर 12 साल पर ही क्यों लगता है…

कुंभ मेला क्यों लगता है?

पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवता और असुरों ने अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन किया था। मंथन के दौरान अमृत का एक कलश (कुंभ) निकला, जिसे असुरों से बचाने के लिए देवता भागे। भागने के दौरान अमृत की कुछ बूंदें चार स्थानों हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में गिर गईं। इसलिए, तब से इन स्थानों को पवित्र माना गया और इन पर कुंभ मेले का आयोजन किया जाने लगा। अमृत की बूंदें हरिद्वार के ब्रह्म कुंड में गिरी थीं। उज्जैन में शिप्रा नदी के किनारे मेला लगता है। नासिक में गोदावरी नदी के तट पर कुंभ मेला आयोजित होता है।

कुम्भ मेला लगने का धार्मिक महत्व और आध्यात्मिक महत्व

कुंभ मेला का उद्देश्य श्रद्धालुओं को आत्म शुद्धि का अवसर प्रदान करना है। मान्यता है कि कुंभ मेला के दौरान इन स्थानों पर स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। कुंभ मेले में गंगा, यमुना, और अदृश्य सरस्वती के संगम में स्नान करने से पापों का नाश और आत्मा की शुद्धि होती है। यह मेला साधु-संतों, गुरुओं और श्रद्धालुओं के मिलन का केंद्र है, जहां ज्ञान, भक्ति और सेवा का आदान-प्रदान होता है।


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