बदली गई मोटापे की परिभाषा, अब दो स्टेज से होगा इसका आकलन 

News Saga Desk

नई दिल्ली। भारत में अब मोटापे की परिभाषा को बदला गया है। पहले सिर्फ बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) से मोटापे का पता चलता था, लेकिन अब इसके लिए दो स्टेज निर्धारित किए गए हैं। नेशनल डायबिटीज ओबेसिटी एंड कोलेस्ट्रॉल फाउंडेशन (एन-डॉक), फोर्टिस अस्पताल और एम्स दिल्ली ने मोटापे की परिभाषा को नए सिरे से परिभाषित किया है। इसका मकसद भारतीयों में मोटापे से होने वाली स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों को बेहतर ढंग जानने और सही इलाज करना है।

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने बुधवार को नई परिभाषा जारी करते हुए बताया कि मोटापे को अब दो स्टेज के हिसाब से परिभाषित किया गया है। इसको लेकर एक रिसर्च को ब्रिटिश मेडिकल जर्नल दी लांसेट डायबिटीज और एंडोक्रिनोलॉजी में प्रकाशित किया गया है। यह शोध अक्टूबर 2022 से जून 2023 के बीच किया गया है। इसमें युवा, बुजुर्ग और महिलाओं में मोटापे से होने वाली अन्य बीमारियों का अध्ययन किया गया है। इसमें डायबिटीज, हृदय रोग और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं शामिल हैं।

कौन से हैं दो स्टेजपहली स्टेज है साधारण मोटापा, जिसमें बीएमआई 23 से कम होता है लेकिन शरीर पर मोटापा दिखता है। अंगों की कार्यक्षमता या रोजमर्रा के कामों पर कोई असर नहीं पड़ता, लेकिन इसे 23 से कम नहीं किया गया तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। दूसरी स्टेज परिणाम देने वाला मोटापा है। इसमें मोटापा सिर्फ शरीर पर दिखता ही नहीं बल्कि इसके साथ शरीर के कई अन्य अंग भी बेडोल दिखने लगते हैं। जैसे कमर बढ़ना या कमर-छाती अधिक चौड़ी हो जाना समेत कई अन्य चीजें प्रभावित होने लगती हैं। स्टेज 2 के इस मोटापे से कई बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। जैसे डायबिटीज और दिल संबंधित बीमारियां।

बीते 15 सालों से भारत में बीएमआई के आधार पर मोटापे को नापा जाता है। बॉडी मास इंडेक्स मोटापे का पता लगाने का एक तरीका है जिसमें ऊंचाई और वजन के आधार पर शरीर में वसा का एक माप है। 23 से 30 का बीएमआई अधिक वजन का संकेत देता है। 30 से अधिक का बीएमआई मोटापे का संकेत देता है। नए शोध में पेट के आसपास की चर्बी (एब्डोमिनल ओबेसिटी) को भी एक स्टेज में शामिल किया गया है जो कई बीमारियों का कारण हो सकती है।

पद्मश्री से अलंकृत एवं फोर्टिस सी-डीओसी अस्पताल में मधुमेह और एंडोक्राइनोलॉजी के कार्यकारी अध्यक्ष और निदेशक डॉ. अनूप मिश्रा ने बताया कि “भारत में मोटापे की दर खतरनाक गति से बढ़ रही है, जो शहरी क्षेत्रों से आगे तक फैल रही है। ये दिशा-निर्देश अभूतपूर्व और लागू करने में आसान हैं, जो पूरे भारत में मोटापे से संबंधित स्थितियों के प्रबंधन के लिए चरण-विशिष्ट रणनीति प्रदान करते हैं। ये वजन घटाने के उपचारों को जल्दी शुरू करने में आसान है।

नई दिल्ली के एम्स में मेडिसिन के प्रोफेसर और दिशा-निर्देशों के मुख्य सह-लेखक डॉ. नवल विक्रम ने बताया कि भारतीयों के लिए मोटापे की एक अलग परिभाषा संबंधित बीमारियों का जल्द पता लगाने और लक्षित प्रबंधन रणनीतियों के विकास के लिए महत्वपूर्ण है। यह अध्ययन हमारी समझ में महत्वपूर्ण अंतराल को भरता है और भारतीय आबादी में मोटापे से निपटने के लिए एक स्पष्ट, तर्कसंगत दृष्टिकोण प्रदान करता है।


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